मंदिर के पुजारी बलवीर स्वामी बताते हैं, पहुज नदी के किनारे बना यह मंदिर दूल्हे राजा सरकार का है। मंदिर का इतिहास चंदेल और बुंदेला राजाओं के समय का है। जब एक दुल्हन के लिए दो दूल्हे बारात लेकर यहां आए थे। अपने-अपने सम्मान को बचाने के लिए दोनों दूल्हों के साथ आईं बारातें आपस में भिड़ गई थीं।
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