कृषक समाज की अस्मिता बन रहा मुद्दा
इस देश में कृषि को सुधारे बगैर न रोजगार के बड़े अवसर मिल सकते हैं और न अर्थव्यवस्था बहुत गतिशील हो सकती है. आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा विकास की मुख्यधारा से छूटता चला जा रहा है. इसीलिए इस देश के अंदर जातीय अस्मिता का सवाल उठता रहता है, लेकिन यह सवाल जातीय अस्मिता कम कृषि का सवाल ज्यादा है.
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