प्रेमचंद जयंती : 'जो गाय के पीछे जान देते हैं, वही अपने मां-बाप को रोटियां नहीं दे सकते'

आज देश भर में गोरक्षा पर बहुत चर्चा हो रही है. इसे लेकर वाद-विवाद भी हो रहे हैं, ऐसे में 'गोदान' का लेखक गोरक्षा के बारे में क्या सोचता था, ये सवाल मन में आना स्वाभाविक है.

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