GOOGLE SEARCH ME KESE LAYE APNA NAME

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 सर्च में टॉप पर हर कोई आना चाहता है। अपनी कंपनी, वेबसाइट या कोई भी अन्य जानकारी गूगल सर्च में टॉप पर लाने के लिए यूजर्स काफी ट्राई करते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें रिजल्ट नहीं मिलता है। गूगल रैंकिंग प्रोसेस को एल्गोरिदम कहा जाता है, जिसके गूगल किसी वेबसाइट को पहले पेज पर और टॉप पर लाने के लिए इस्तेमाल करता है।

आइए जानते हैं कैसा है गूगल का एल्गोरिदम प्रोसेस और कैसे गूगल सर्च में टॉप पर आया जा सकता है।


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बता दें कि गूगल ने हाल ही में अपना एल्गोरिदम प्रोसेस बदला है। गूगल के पहले पेज पर वही चीजें आ सकती हैं, जो ज्यादा रिडेबल हों और उन्हें जितना ज्यादा सर्च किया गया हो। गूगल के नए एल्गोरिदम में पहले पेज पर आना थोड़ा मुश्किल है। गूगल के पहले पेज पर आने के लिए आपके कंटेंट में 4 चीजों का होना काफी जरूरी है।

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कई वेबसाइट और कंटेंट के बीच रैंकिंग के लिए गूगल सबसे पहले क्लिक देखता है। मतलब जिस वेबसाइट पर जितने ज्यादा क्लिक होंगे, वो वेबसाइट गूगल की लिस्ट में टॉप पर होंगी। अगर कोई वेबसाइट ज्यादा क्लिक की वजह से पहले टॉप पर थी, लेकिन बाद में क्लिक नंबर कम हो गए, तो ऐसी वेबसाइट दूसरे तीसरे पेज पर पहुंच जाती हैं और ज्यादा क्लिक वाला कंटेंट पहले पेज पर आ जाता है।

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नई एल्गोरिथम में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण चीजों में से एक बाउंस रेट है। बाउंस रेट का मतलब होता है कि कोई यूजर आपके कंटेंट तक पहुंचे और दोबारा गूगल सर्च पर आ जाए। अगर ऐसा होगा तो गूगल के नए एल्गोरिदम में माना जाएगा कि आपका कंटेंट रीडेबल नहीं है या आपके द्वारा दी गई जानकारी गलत या अधूरी है। इसके चलते आपके पहले पेज पर आने के चांसेज घट जाते हैं।

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किसी भी लिंक पर क्लिक करने के बाद यूजर कितनी देर तक आपके कंटेंट पर टिका रहेगा, गूगल आपकी वेबसाइट को उतनी अच्छी रैंकिंग देगा। गूगल पर नंबर ऑफ क्लिक के साथ एवरेज टाइम का गूगल के हिसाब से ठीक होना जरूरी है।


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गूगल के नए एल्गोरिदम में चौथी और सबसे जरूरी ची है ट्रैफिक सोर्स। आपके कंटेंट पर ट्रैफिक कहां और किस-किस सोर्स से पहुंचता है। अगर यूजर डायरेक्ट, सोशल मीडिया और गूगल सर्च के जरिए आपके कंटेंट तक पहुंचते हैं, तो गूगल आपकी वेबसाइट को अच्छी रैंकिंग देगा। वहीं आपका ट्रैफिक सोर्स सीमित है, तो आपकी वेबसाइट दूसरे, तीसरे, चौथे या उससे भी पीछे के पेज पर धकेली जा सकती है।

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